बिलग्राम कस्बे वासियों को सालो से आवास योजना के आवेदन के बाद भी नहीं मिला आवास, ये है पात्रों का हाल



परिवार के साथ कच्चा कच्चे मकान में रहने को मजबूर ढहने सता रही चिंता फोटो 
हरदोई बिलग्राम दो दिन से हो रही बारिश ने कच्चे घरों में रह रहे लोगों की हालत खराब कर दी है। कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में कई घर गिर गए हैं तो कई लोग खुले आसमान और टपकती छत के नीचे रहने पर मजबूर हैं। उनका कहना है कि कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन किया लेकिन पक्की छत नसीब नहीं हुई। अब कच्चा घर भी बारिश ने छीन लिया। वहीं जिम्मेदार सर्वे के बाद लाभ की बात कह रहे हैं।शासन की ओर से गरीबों के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री शहरी गरीब आवास योजना समेत अन्य योजनाओं में अक्सर अपात्रों को लाभ मिलने की बात सामने आती है। वहीं पात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बारिश में घर ढहने के बाद ऐसे लोगों ने पीड़ा बताई।बिलग्राम कस्बे के मोहल्ला बजरिया निवासी अवधेश कुमार पूत्र रामअवतार कई सालों से कच्चे मकान में रह रहे थे अवधेश ने बताया कि उसका सपना है कि उसके पास भी पक्की छत हो। इसके लिए उसने कई बार नगर पालिका से लेकर उच्च अधिकारियों के चक्कर लगाए। लेकिन हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी है। दो दिन से लगातार हो रही बारिश में उसका कच्चा मकान भी गिरने की कगार पर है जिससे पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर है।उसने प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया था। पात्रता सूची में उसका नाम भी था। लेकिन आज तक उसे योजना का लाभ नहीं मिल सका है। जिससे मजबूरन पन्नी में गुजर करनी पड़ रही है। लेकिन इस बार की बारिश ने यह घर भी हमसे छीन लिया। बताया कि उसका जन्म अयाना कसबे में ही हुआ है। सभी दस्तावेज भी अयाना के हैं। पात्र होने के बाद भी अवधेश ने बताया कि दो साल पहले  प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया था। सूची में नाम होने के कारण लेखपाल ने सर्वे भी किया था। लेकिन आज तक योजना के लाभ से वंचित हैं। कच्चे आवास का एक हिस्सा पूरी तरह ढह गया है। अब सिर्फ एक कच्चा कमरा बचा है। जिसमें व परिवार के साथ रहने को मजबूर है।डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन के बाद उनका नाम  पात्रता सूची में आ गया। परिवार को उम्मीद बंधी कि अब वह भी एक अदद पक्के घर में रह सकेंगे लेकिन उसके बाद से केवल जांचे ही हो रहीं हैं।दो दिन से हो रही बारिश से उनकी कच्ची छत भी ढह गई। भाई के मकान में आश्रय लेना मजबूरी है।

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