बिलग्राम, गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुआ मुशायरा कवि सम्मेलन




मुशायरा व कवि सम्मेलन में दाद और वाह-वाह में गुजरी रात

जिला संवाददाता फारूक क़ुरैशी 

 बिलग्राम ( हरदोई)  योमै जमहूरिया के सिलसिले में शुक्रवार की रात में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन दूर दराज से आये हुए शायरो ने कलाम पढ़ कर खूब वाह वाही लूटी कभी सियासत पर तंज तो कभी हालात बेबसी हुई बयां बिलग्राम  के बाल कल्याण प्रथमिक विद्यालय मोहल्ला मैदानपूरा बिलग्राम में हुआ मुशायरा व कवि सम्मेलन रात ज्यो ज्यो सर्द होती जा रही थी बिलग्राम मुशायरे  की गर्माहट बढ़ती जा रही थी अपने फेवरेट शायरों और कवियों को सामने पाकर दर्शक देर रात तक सर्द रात में भी कुर्सियों से चिपके रहे और वाह वाह करते रहे रात के साथ जोश भी उनका बढ़ता जा रहा था मौका था शुक्रवार की रात बाल कल्याण प्रथमिक विद्यालय मोहल्ला मैदानपूरा में मुशायरा कवि सम्मेलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया इस मौके पर काफी तादाद में लोगो ने शिरकत की यौमे जमूहरिया के मौके पर बाल कल्याण विद्यालय में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन हुआ  जिसमें विभिन्न जनपदों से आए शायरों और कवियों ने अपनी रचनाएं सुना कर श्रोताओं को तारीफ करने के लिए प्रेरित किया।ये महफ़िल ए मुशायरा हुज़ूर बिलग्रामी की सरपरस्ती और जनाब शिव कुमार बिलग्रामी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ मंच के संचालन का काम असगर बिलग्रामी ने बखूबी निभाया महफ़िल में शायरी की शुरुआत नश्तर मल्लावी ने  की उन्होंने इस तरह पढ़ा कि 
*हजारों जान दीं सूली चढे हम भी मगर फिर भी*
*बताओ तो हमे तुम आजमाओगे भला कब तक*
रायबरेली के खलील फरीदी ने अपने अंदाज में पढ़ा कि 
*लबो तक मुस्कुराहट आते आते लौट जाती है* 
*न हो मां बाप का साया तो बच्चे टूट जाते हैं।*
मल्लावां के डॉक्टर रियाज वरहक ने सुनाया 
*तअल्लुकात सभी तोड़ दीजिए लेकिन* 
*ये याद रखिए फिर राबता हो सकता है* 
पवन कश्यप ने कहा कि
*एक गीत ऐसा भी लिख दो मायी*
*जिसमें हो खुशबू वतन की समाई।*
दिल्ली के मशहूर शायर शिवकुमार बिलग्रामी ने कहा कि
*बात करने का सलीक़ा मैने पाया जिसमें* 
*इक वही शख्स मुझे शहर में खामोश मिला*
इसके अलावा लखनऊ के मशहूर शायर मोईद रहबर और हरदोई के कवि अजीत शुक्ल भी ने अपना अपना कलाम पढ श्रोताओं के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी इसी तरह असगर बिलग्रामी ने अपनी शायरी से समा बांधा और कहा कि 
*बिल यकीं वो घर बनेगा मिस्ल ए दोज़ख दोस्तों*
*राह से बेराह जिस घर का बड़ा हो जायेगा* 
देश भक्ति में ढूबे हुए शेर पढते हुए हुज़ूर बिलग्रामी ने कहा कि 
*ऐ तिरंगा तेरी हम शान न जाने देगें* 
*सर तेरा तुझको कभी हम न झुकाने देगें* बिलग्राम के नौजवान और उभरते हुए शायर कमर बिलग्रामी के शेर 
*सबक वफा का पढ़ाया उनको* *सलीका हमने सिखाया जिनको* 
*मिली जरा सी जो उनको शोहरत* 
*वो आंखे हम को दिखा रहे हैं* 
से खुब वाहवाही लूटी भरपूर सर्द रात में भी शायरों और कवियों की रचनाओं को सुन श्रोता रात दो बजे तक डटे रहे।

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